जैसे ही छमिया का अंतिम संस्कार करने के लिए लोग उसको उठाने वाले थे कि वह खुद ही उठ गयी. सभी लोग हैरान रह गये और दूर भागने read more लगे. छमिया ने कहा – भागो मत, दर असल दमदार वैक्सीन बुढो को छ घंटे के लिए सुलाती हैं, मैं ये लिखना भूल गयी थी.
और याद रखे कि इसमें आपकी जान को खतरा भी हो सकता हैं. लेकिन अगर एक बार हमारा टेस्ट सफल हो गया तो फिर हमारे लाखों जानवरों को इस बीमारी से बचाया जा सकता हैं.
लोमड़ी जवाब दिया, भारी भजन के बाद चिल्लाना मेरी आदत है।
खेत की मालिक दौड़ता हुआ आया और ऊंट को पीटा, जब मालिक चला गया तो ऊंट ने लोमड़ी से पूछा तुम क्यों चिल्लाई?
मछुआरा दौड़कर घर की तरफ गया। उसने देखा कि उसकी झोपडी एक पक्का मकान बन चूका था। ये देखकर मछुआरा हैरान था।
इसलिए, उनके पास अगली सुबह तक वहां रहने का अलावा और कोई विकल्प नहीं था। अगले दिन एक बकरी उसी रास्ते से जा रहा था, उसने कुएं में झांका और वहां लोमड़ी को देखा।
शेर ने कहा, “नहीं लोमड़ी में अपना शिकार खुद करती हूँ में मरे हुए जानवर का मांस नहीं खाती, तुम नहीं जानते हो क्या?
“अज मेरा सबसे अच्छा दोस्त ने मेरा जान बचाया।”
यही नहीं वह आम खा कर झूठी गुठलियाँ जग्गू के घर में फेक देता.
कुछ दिनों के बाद पंखपुर में कोई पढ़ा लिखा लड़का रहने के लिए आया। जब उसको पता चला कि इस गाँव में राक्षस आता हैं तो उसने गाँव वालो को इकट्ठा किया और बोला कि अगर आप चाहो तो हम इस राक्षस को मिलकर मार सकते हैं।
लोमड़ी: बढ़ई मेरी पूंछ को काट कर लकड़ी की चीते जैसी पूंछ लगा दो। नहीं तो मैं तेरे बच्चों को उठा ले जाउंगी।
नैतिक शिक्षा : किस्मत हमेशा साथ नहीं देता
मजबूरन मछुआरे को वापस मछली के पास जाना पड़ा।
यह देखकर, स्वामी विवेकानंद जी ने अपना कंबल उसे दे दिया। मनुष्य ने स्वामी जी की ओर देखा। और उन्हें ऋषि और उस चोर की कहानी के बारे में बताना शुरू किया।